हिंदू कैलेंडर में हर माह के कृष्ण पक्ष (testosterone enanthate reviews) की आखिरी तिथि अमावस्या होती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के नाम से जाना जाता है। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, साल भर में पड़ने वाली सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)का विशेष स्थान है।

आत्मनः गुण दोषेण बंध्यते शुक सारिका
बकाः तत्र न बध्यते, मौनं सर्वार्थ साधनं
सनातन परंपरा में मौन को सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। कहा भी गया है एक चुप सौ पर भारी दरअसल मौन महज चुप्पी साध लेना नहीं है, बल्कि यह शास्त्रों में वर्णित सबसे कठिन और महान तप है। इंद्रियों पर नियंत्रण का अभ्यास करने वाले सबसे पहले मौन साधना ही सीखते हैं।

अंग्रेजी शब्द ‘साइलेंस’ बहुत कुछ नहीं बता पाता है। संस्कृत में ‘मौन’ और ‘नि:शब्द’ दो महत्वपूर्ण शब्द हैं। मौन का अर्थ आम भाषा में चुप रहना होता है- यानी आप कुछ बोलते नहीं हैं। ‘नि:शब्द’ का मतलब है जहां शब्द या ध्वनि नहीं है – शरीर, मन और सारी सृष्टि के परे। ध्वनि के परे का मतलब ध्वनि की गैर मौजूदगी नहीं, बल्कि ध्वनि से आगे जाना है।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व :
मौनी अमावस्या,(Mauni Amavasya) मौनी शब्द का अर्थ मौन है अर्थात् चुप रहना | इस दिन कोई भी व्यक्ति पूरे दिन मौन रहता है और यह एक तरह का व्रत है। जिसे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)के दिन किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) को सबसे महत्वपूर्ण व शुभ दिन माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र गंगा नदी का पानी अमृत में बदल जाता है और मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन गंगा में स्नान करना पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि के संचालक मनु का जन्म दिन भी इसी अमावस्या को हुआ था। माघ मास का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पर्व मौनी अमावस्या ही है।

ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) को पवित्र नदियों में देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगास्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक मास के समान पुण्य और पवित्र मास कहा जाता है।
गंगातट पर इस कारण से एक मास तक भक्तजन कुटिया बनाकर गंगाजल का सेवन करते हैं और माना जाता है कि पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपनी सामर्थ के अनुसार, अन्न दान, वस्त्र दान, धन दान, गोदान, भूमि दान, स्वर्ण दान और अन्य प्रकार के सभी दान जो भी आपकी इच्छा हो उसी प्रकार का दान देना चाहिए, लेकिन इस दिन तिल का दान करना उत्तम माना गया है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन व्यक्ति को सुबह की पहली किरण के साथ किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। कुछ अन्य पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रयास करते है, और पूरे दिन या कम या अधिक समय के लिए मौन व्रत धारण करते हैं।
इस बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि मुंह से जाप करने से कई गुणा अधिक पुण्य मौन रहकर जाप करने से मिलता है। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर पूरे दिन मौन धारण करने का महत्व माना गया है।

हालांकि आज की नई जनरेशन के लिए ऐसा करना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए दान-स्नान से सवा घंटे पहले भी यदि मौन धारण कर लिया जाए तो इससे दान का फल कई गुना प्राप्त होता है। कुछ विद्वान पंडितों का मत है कि यदि इस दिन व्यक्ति पूरे नियम कायदे से मौन व्रत का पालन करते हुए भगवान शिव और विष्णु की आराधना करता है तो उसके सभी दुष्कर्मों का अंत हो जाता है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) की तिथि पर मौन और ध्यान साधना का महत्व :
सृष्टि के हर रूप के साथ एक खास ध्वनि जुड़ी होती है। ध्वनियों के इसी जटिल संगम को ही हम सृष्टि के रूप में महसूस कर रहे हैं। सभी ध्वनियों का आधार ‘नि:शब्द’ है।
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि पूरा अस्तित्व ही ऊर्जा की एक प्रतिध्वनि या कंपन है।
इंसान हर कंपन को ध्वनि के रूप में महसूस कर पाता है। सृष्टि के किसी अंश का सृष्टि के स्रोत में रूपांतरित होने की कोशिश ही मौन है। अनुभव और अस्तित्व की इस निर्गुण, आयामहीन और सीमा हीन अवस्था को पाना ही योग है। अतः नि:शब्द का मतलब है: शून्यता।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का ज्योतिष महत्व :
भारतीय संस्कृति में आने वाले तीज और त्योहारों का ज्योतिष से गहरा नाता होता है। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का महत्व भी धर्म के साथ ही ज्योतिष से भी जुड़ा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब माघ के महीने में चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ एकत्र होते हैं, तब मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) मनाई जाती है।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव के कारण इस दिन का महत्व अधिक हो जाता है। मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और सूर्य कुंडली के दसवें भाव में बलवान होते हैं। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना गया है, इसलिए मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का पर्व मनाया जाता है। यही कारण है कि इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना लाभ दानकर्ता को प्राप्त होता है।

कब है वर्ष 2023 में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) की तिथि?
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) 2023
- शनिवार, 21 जनवरी 2023
- अमावस्या तिथि शुरू: 12 जनवरी 2023, पूर्वाह्न 06:18 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 22 जनवरी 2023, पूर्वाह्न 02:23 बजे
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) को क्या दान करें ?
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने पर पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन धार्मिक महत्व अधिक है, मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद अपने पितरों के नाम से जल छोड़ने और दान करने से पितृों को शांति मिलती है।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को धन, वस्त्र, गाय, जमीन, सोना, अन्न, तिल और अन्य प्रकार की प्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिए।

क्या है नियम मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर मौन रहने के ?
मौन रहने का वास्तविक अर्थ है बाहरी दुनिया से दूर रहकर खुद के अंतर्मन में झांकना, आत्ममंथन करना और अंदर की अशुद्धियों को प्रभु का नाम लेकर दूर करना और मन को शुद्ध करना।
मौन का मतलब ये बिल्कुल नहीं होता कि आपने मुंह से बोलना बंद कर लिया, लेकिन मन विचलित है, गलत विचारों और बुराइयों से भरा पड़ा है। मौन रहकर आपको अपने मन को एकाग्र करना होता है और प्रभु के नाम का स्मरण करना होता है। इससे आपकी नकारात्मकता दूर होती है और आपके अंदर आध्यात्मिकता का विकास होता है।