‘यथा भेदं’ न पश्यामि शिवविष्ण्वर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकर: शंकर: सदा।।तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।
तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।।
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) अलग-अलग नामों और तरीकों से मनाई जाती है। मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) का पर्व धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अधिक महत्वपूर्ण होता है। जब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसे “संक्रांति” कहा जाता है।

इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को “मकर संक्रांति” (Makar Sankranti 2024)के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति 2024(Makar Sankranti 2024) के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है। लेकिन मकर संक्रांति 2024(Makar Sankranti 2024) का जितना धार्मिक महत्व होता है, उतना ही अधिक वैज्ञानिक महत्व भी होता है।

नमोऽसत विद्यावितताय चक्रिणे।
समस्तधीस्थानकृते सदा नमः।।उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का वैज्ञानिक महत्व:
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के पावन दिन पर लंबे दिन और रातें छोटी होने लगती हैं। सर्दियों के मौसम में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं, जिसकी शुरुआत 25 दिसंबर से होती है। लेकिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) से ये क्रम बदल जाता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) से ठंड कम होने की शुरुआत हो जाती है।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का आयुर्वेदिक महत्व:
धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के अलावा मकर संक्रांति का आयुर्वेदिक महत्व भी है। संक्रांति (Makar Sankranti 2024) को खिचड़ी भी कहते हैं। इस दिन चावल, तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इन चीजों के सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) में क्यों खाई जाती है खिचड़ी:
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा होती है, इसलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के पावन पर्व को खिचड़ी भी कहते हैं। हालांकि इस दिन खिचड़ी खाने की एक वजह ये भी होती है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) में फसल की कटाई होती है। चावल और दाल से बनी खिचड़ी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ये पाचन तंत्र को मजबूत करती है।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) से क्यों बदलता है वातावरण:
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के बाद से वातावरण में बदलाव आ जाता है। नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। इससे कई सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य के उत्तरायण होने से सूर्य का ताप सर्दी को कम करता है।

भारत के अलग अलग राज्यों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) किस तरह से मनाई जाती है?
भारत त्यौहारों का देश है। इस प्रकार, हर दूसरे त्योहार की तरह, मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) को बहुत सारी सजावट के साथ मनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर के बने व्यंजनों का स्वाद लेते हैं जो आमतौर पर गुड़ और तिल से बने होते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में खिचड़ी भी खाई जाती है। तमिलनाडु में, यह त्योहार पोंगल के रूप में मनाया जाता है, और लोग बड़े उत्साह के साथ ताजे दूध और गुड़ के साथ उबले हुए चावल खाते हैं।

सहस्रकिरणोज्ज्वल। लोकदीप नमस्तेऽस्तु नमस्ते कोणवल्लभ।।
भास्कराय नमो नित्यं खखोल्काय नमो नमः। विष्णवे कालचक्राय सोमायामिततेजसे।।
मध्यप्रदेश राजस्थान और गुजरात में उत्तरायण :
गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में, उत्तरायण या मकर संक्रांति 2024 एक भव्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यहां पतंगबाजी या पतंग उत्सव इस दिन का प्रमुख आकर्षण होता है। इन राज्यों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का त्योहार एक महीने पहले दिसंबर से ही शुरू हो जाता है और आसमान मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के स्वागत में रंगीन पतंगों से भर जाता है।

झारखंड और बिहार में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) :
बिहार और झारखंड में, लोग नदियों और तालाबों में डुबकी लगाते हैं और अच्छी फसल के उत्सव के रूप में मौसमी व्यंजनों का आनंद लेते हैं। व्यंजनों में चुरा, तिल से बनी मिठाई आदि शामिल हैं।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पेड्डा पांडुगा :
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, यह चार दिवसीय उत्सव है। मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) से एक दिन पहले भोगी के रूप में जाना जाता है, जिसमें लोग पुरानी चीजों से छुटकारा पाकर उन्हें अलाव में जला देते हैं। अगला दिन पेड्डा पांडुगा के रूप में जाना जाने वाला प्रमुख दिन होता है जब लोग नए और रंगीन कपड़े पहनते हैं और देवताओं के साथ-साथ अपने पूर्वजों को प्रार्थना और पारंपरिक भोजन देते हैं।

केरल में मकरविलक्कू का त्योहार :
केरल में, त्योहार को मकरविलक्कू के नाम से जाना जाता है। इस दिन सबरीमाला की पहाड़ियों को रोशनी से सजाया जाता है। सबरीमाला की पहाड़ियों को साल में सिर्फ तीन ही बार सजाया जाता है और केरल में मकरविलक्कू के नाम से मनाया जाने वाले त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) उन तीन दिनों में से एक है। इस दिन को केरल में खूब खुशी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन सबरीमाला की पहाड़ियों पर होने वाले प्रकाश उत्सव को देखने के लिए हजारों लोग दूर दूर से आते हैं।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) और उसका ज्योतिषीय महत्व :
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) का धार्मिक महत्व भी कहीं न कहीं इसके ज्योतिषीय महत्व के साथ ही जुड़ा है। मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का त्योहार ऋषियों और योगियों के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा में एक नई पहल के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
सामान्य तौर पर, लोग मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) को नए समय की शुरूआत और अतीत की बुरी और भयानक यादों को पीछे छोड़ा देने का दिन भी मानते हैं। इस दिन का एक और पहलू यह है कि इस शुभ दिन पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सूर्य की यह स्थिति अत्यंत शुभ होती है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव के साथ सभी मुद्दों को छोड़कर उनके घर उनसे मिलने आते हैं।

इसलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का दिन सुख और समृद्धि से जुड़ा है। मकर संक्रांति अधिक विशेष और शक्तिशाली है क्योंकि इस मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) को अभूतपूर्व तरीके से एक या दो नहीं बल्कि तीन ग्रह (सूर्य, शनि और बुध) आगामी महीने में मकर राशि में एक साथ रहेंगे। ज्योतिष में इस घटना को स्टेलियम के रूप में जाना जाता है।
वर्ष 2024 में कब है मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2024)?
हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी, 2024 दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का फल :
एक सूर्य वर्ष में कुल 12 संक्रांति आती है और सभी का अपना अपना फल भी होता है। लेकिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के फल का विशेष महत्व है।
इस साल की मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए काफी अच्छी रहने वाली है। व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है। हालांकि इस दौरान किसी तरह का भय और चिंता बनी रह सकती है। लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मधुरता आएगी। अनाज के भंडारण में वृद्धि होगी

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) पूजन मंत्र :
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन सूर्य देव की पूजा के समय इन मंत्रों के जाप करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ॐ सूर्याय नम:,
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति।।

मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) के दिन जो व्यक्ति कम्बल और शुद्ध घी को दान के रूप में देता है वह व्यक्ति अपने जीवन-मरण के सम्बन्ध से मुक्त होने के बाद अर्थात् अपनी मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है।