आइये जानते है, क्या होती है मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami), व्रत, महत्व, लाभ और बहुत कुछ

हर माह के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) के रूप में मनाया जाता है। इसे मासिक दुर्गा अष्टमी, माह दुर्गा अष्टमी, या दुर्गा अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा माता की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से लोगो को सीख मिलती है की चाहे परिस्थिति जैसी भी हो विजय सदैव भलाई और सत्य की ही होती है।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) का व्रत क्यों रखते हैं ?


माँ दुर्गा से सुख, शांति, समृद्धि और आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए भक्तगण मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) का व्रत बहुत ही आस्था और श्रद्धा के साथ करते हैं। यह व्रत हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला है। विपदा और कष्ट से उभारने वाला है। यदि उपासक बिना किसी त्रुटि के यह व्रत पूरी इच्छाशक्ति के साथ करते है तो उन्हें मनचाहा लाभ व मन की की शांति प्राप्त होती है। कुछ भक्त दिन भर अन्न जल त्यागकर यह व्रत करते हैं तो कुछ भक्त जल पीकर और फलाहार करके यह व्रत रखते हैं। यदि कोई भक्त अन्न जल त्यागने की व्रत रखने की स्थिति में नहीं है तो वह पूजा पाठ करके शराब व मांसाहार से दूरी रखकर भी यह व्रत रख लेते हैं। और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) पूजन विधि


मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) के दिन सुबह उठकर माँ भगवती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात् घर की अच्छी तरह से साफ सफाई करें खासकर पूजा स्थल की। तदोपरांत स्नान ध्यान से निवृत्त होकर आचमन कर खुद को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। अब पूजा गृह में एक चौकी पर माँ दुर्गा की प्रतिमा व तस्वीर स्थापित करें चौक पुर कर गुड़हल का फूल चढ़ाकर रोली चन्दन कुमकुम अक्षत आदि भी लगाए व भेंट करे। माँ दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है अतः पूजा में माँ दुर्गा को लाल पुष्प और लाल फल अवश्य भेंट करें। प्रसाद के रूप में फल व दूध से बनी मिठाई का भोग लगाए। श्लोकोच्चारण करे साथ ही सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी भी चढ़ाएं। अब माँ दुर्गा की पूजा धूप द्वीप आदि जलाकर यथावत करें पूजा करते समय माँ दुर्गा का चालीसा अवश्य पढ़ें और मंत्रोच्चारण करे।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे
तुम संसार शक्ति लै कीना।

पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।

जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।

भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।

तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।

शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।

रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) मुख्य श्लोक

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।

शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥

या देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) में हवन करना भी होता है शुभ

सतचंडी हवन

मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) के दिन भक्तगण माता रानी को खुश करने के लिए चंडी हवन करते हैं क्योंकि देवी दुर्गा मानव जाति की संरक्षक हैं। देवी माँ में ही समस्त शक्तियां समाहित हैं वही एक मात्र सत्य हैं माँ दुर्गा अपने अंदर समस्त शक्ति को समाहित किये हुए है। ऐसी मान्यता है की सतचंडी हवन और यज्ञ एक साथ करने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। पाठ हिन्दू धर्म में उन्नत ग्रंथो में से एक है और सभी प्रकार के आशीर्वाद व लाभ को देने वाला है। सतचंडी हवन और यज्ञ से आत्मा की शुद्धि होती है और जाने अनजाने में किये गए पापों से भी मुक्ति मिलती है यह यज्ञ ग्रहों व इनके बुरे प्रभाव को भी शांत करने वाला है। यदि सतचंडी हवन और हवन पूर्णिमा के दिन किया जाये तो और अधिक लाभ की प्राप्ति होती है। वैसे ज्यादातर सतचंडी हवन नवरात्री में होती है परन्तु माँ भवानी को खुश करने के लिए भक्त मासिक अष्टमी के दिन भी यह हवन और यज्ञ करते है साथ ही पाठ भी करते है।

सतचंडी हवन का महत्त्व

सतचंडी हवन भी दुर्गा सप्तसती के पाठ जैसा ही है। यह माँ दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय की व्याख्या करता है। प्रायः सतचंडी हवन का मुख्य उद्देश्य उनकी जागरूकता प्राप्त करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है क्योंकि माँ भवानी अपने अंदर समस्त शक्तियों को समाहित किये हुए है। यह संपूर्ण ऊर्जा की वाहक हैं। जिससे जीवन की समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। जीवन की समस्त समस्याएं इस पूजा से समाप्त हो जाती हैं। यह यज्ञ माता रानी को खुश करने के लिए किया जाता है और उनसे शक्ति और संघर्ष की सीख लेने को सतचंडी हवन किया जाता है।
सतचंडी हवन का 3 बार जाप करने से जादू टोना से मुक्ति मिलती है। भव-बाधा दूर होती है। वांछित वर व सफलता प्राप्त होती है।
यदि किसी को अकाल मृत्यु का भय है तो यह हवन उससे मुक्ति दिलाने में लाभकारी है पुनर्जम का चक्क्कर भी दूर होता है इस हवन और यज्ञ से। वित्तीय ऋण यदि हो तो उससे निकलने में भी सतचंडी हवन भूमिका निभाता है। साथ ही घर और आस पास का वातावरण पवित्र होता है।
5 बार इस का जाप करने से दोष से मुक्ति मिलती है। बेवजह की इच्छाएं समाप्त हो जाती है। व्यर्थ पाप नहीं होता और काम करने का मन करता है। सांसारिकता से दूर होने का एक मात्र उपाय है सतचंडी हवन।
सतचंडी हवन करना होता है बहुत ही अधिक शुभ।

कब है? मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) की पुण्य तिथि

हिंदी पंचांग के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है।
इस प्रकार साल 2023, ज्येष्ठ महीने में 20 मई को दुर्गा अष्टमी है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति माँ भवानी यानि माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही माँ दुर्गा का निमित्त उपवास भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है की दुर्गा अष्टमी के दिन व्रत व उपवास करने से साधक को आश्विन माह की अष्टमी के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है।
ज्येष्ठ माह 27, 2023 दुर्गा अष्टमी (शनि)
दुर्गा अष्टमी तिथि प्रारम्भ 27 मई 2023 सुबह 7:42
दुर्गा अष्टमी तिथि समाप्त 28 मई 2023 सुबह 9:46

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) का भोग


मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) में माता जी को सात्विक भोग ही चढ़ता है। लहसुन प्याज से निर्मित भोजन पूर्णतयः प्रतिबंधित है। फल व मिठाई का ही लगाए भोग।दूध, दही, छाछ,घी भी चढ़ाया जाता है। गाय का ही चढ़ाये दूध दही इत्यादि। असात्विक भोग किसी भी दशा में माता रानी को नहीं चढ़ाना चाहिए नहीं तो पाप के भागीदार होते हैं और जन्म मृत्यु के नाच से नहीं बचते हैं।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) में क्या खाना चाहिए ?

साधरण लोगो के लिए, फल, दूध, साधारण जल, और मिठाई का उपयोग कर सकते है का वर्णन है। कुछ भक्तगण निर्जल व्रत रखते हैं तो कुछ फलाहार करके भी व्रत रहते हैं।


कैसे खोले मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) का व्रत?


व्रत खोलते समय अपनी थाली में सिंघाड़े को शामिल करें, इस खास दिन पर ये देवी को भी चढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अपनी भोजन की थाली में हलवा और चना भी शामिल करें।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) को क्या न खाये ?

कृपया ध्यान दीजिये यदि आप मांसाहार के प्रेमी हैं तो इस दिन आपको मांसाहार का उपयोग नहीं करना चाहिए व्रत रखने से एक दिन पूर्व भी मांसाहार का उपयोग वर्जित है। शराब मदिरा आदि का सेवन भी पूर्णतयः निषेध है। प्याज लहसुन जैसे तामसी पदार्थों का भी उपयोग वर्जित है। इसके अलावा मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) के दिन नारियल खाना निषेध है क्योंकि यह बुद्धि का नाश करता है , आंवला तिल का तेल लाल साग और काँसा के बर्तन का उपयोग करना वर्जित है। इसके अतिरिक्त लौकी और कद्दू भी खाना वर्जित है क्योंकि इसे माता की बलि के रूप में माना जाता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) के दिन कौन सा रंग शुभ होता है

  • चूँकि माँ भवानी को सबसे प्रिय रंग लाल है अतः इस दिन लाल रंग का वस्त्र धरण करना भक्तो के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। माँ दुर्गा जी को गुलाबी रंग भी अत्यंत प्रिय है इसलिए गुलाबी रंग का वस्त्र भी भक्त धारण कर सकते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) के दिन भूलकर भी काले और नील रंग के वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए। ऐसा करने से माँ भवानी रुस्ट हो सकती हैं।

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) का कैसे करें उद्यापन

मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) का उद्यापन करने के लिए सबसे शुभ माह आश्विन हो सकता है नवरात्री की दुर्गा अष्टमी के दिन हवन करने के साथ आप उद्यापन कर सकते हैं। इसमें आठ प्रकार का फल व मिठाई, लाल चुनरी,गाय का दूध, दही आवश्यक है। किसी पवित्र कुंए का जल ,गंगा जल,व 5 नदियों का जल भी यदि मिले तो अत्यंत शुभ होता है अन्यथा गंगा जल भी लाभकारी है। 11, 7 या 5 या और अधिक या एक ही यथाशक्ति ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ उद्यापन करे और सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण करे। यदि आप गरीब व भूखे को भोजन कराकर मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) का उद्यापन करें तो अत्यंत शुभ माना जायेगा

मासिक दुर्गा अष्टमी (Maasik Durga Ashtami) व्रत करने का लाभ

अष्टमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा होती हैं इसलिए हर महीने में शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन माँ भवानी की पूजा व व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है की बिगड़े काम को सही करने के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत को करने से माँ दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देती हैं। भक्त की हर तरह की इच्छा पूरी करती हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) का व्रत पूरी निष्ठा से रखने वाले भक्त को पाप, कष्ट, भव बाधा,भय इत्यादि से मुक्ति मिलती है। मासिक दुर्गा अष्टमी(Maasik Durga Ashtami) व्रत रखने वाला भक्त मृत्यु पश्चात् स्वर्ग को प्राप्त होता है। और धरती लोक पर रहकर हर प्रकार का सुख भोगता है।

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