क्यों प्रसिद्ध है, बनारस का ललिता घाट (Lalita Ghat)

काशी यानि बनारस या यू कहे महादेव की नगरी, तो चलिए शुरुवात करते है आज बनारस की कुछ खास जगहों के बारे में। बनारस के ललिता घाट (Lalita Ghat) के बारे में जानने से पहले आइये हम आपको कुछ और खास बातो के बारे में बताते है बनारस एक ऐसा शहर है जो तमाम भागदौड़ से दूर अपनी अलग मस्ती में मगन रहता है, यक़ीनन यहाँ आने वाला हर व्यक्ति भी अपनी परेशानियों को भूलकर यहाँ की गलियों से लेकर गंगा घाट और सुबह शाम होने वाली पूजा और गंगा आरती में मग्न हो जाता है यहाँ का नजारा सचमुच एकदम अलग और अनोखा नजर आता है

Lalita Ghat

भारत वर्ष में ऐसे तो अनेको पूज्यनीय स्थल है जहा लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति से पूजा अर्चना करते है किन्तु भारत वर्ष में बनारस एक ऐसा स्थान है जहा पर अनेकों देवी देवताओ का पूजा स्थान और अनेक घाट भी है
बनारस में वैसे तो कुल 84 घाट है और सबका अपना अपना अलग महत्व है, किन्तु आज हम आपको ललिता घाट (Lalita Ghat) के बारे में कुछ विशेष और रोचक जानकारिया प्रदान करेंगे
ललिता घाट का निर्माण 19वी शताव्दी के शुरुवात में नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने करवाया था। ललिता घाट वाराणसी में गंगा नदी के प्रमुख घाटों में से एक है, इस घाट का नाम हिन्दू देवी ललिता के नाम पर रखा गया था , इस घाट पर ही प्रमुख नेपाली मंदिर और ललिता गौरी मंदिर भी स्थित है

Nepali Mandir | Source: Google Photos

ललिता घाट (Lalita Ghat) का इतिहास :

काशी यानि बनारस, यहाँ की परंपरा में नव दुर्गा के साथ साथ नव गौरी की भी विशेष मान्यता है और इन्ही नव गौरी में शामिल है ललिता देवी को समर्पित ललिता घाट, ललिता घाट (Lalita Ghat) भी अपनी विशेष मान्यता लिए हुए है, ललिता घाट से निकलते हुए मार्ग में ही एक ललिता देवी का एक ख्याति मंदिर भी स्थित है जो अत्यंत प्राचीन है, वैसे तो इनकी पूजा हर महीने यानि साल भर की जाती है परन्तु इनकी विशेष पूजा चैत्र और शारदीय नवरात्रि में करने का विधान रहा है, आपको बता दे कि ललिता घाट का निर्माण नेपाल नरेश राणा बहादुर शाह ने शुरू करवाया था और उनके पुत्र गिरवन युद्ध बिक्रम शाह देव ने पूरा करवाया किन्तु उसके बाद कई बार इस घाट का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है
ललिता घाट (Lalita Ghat) पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त राजस्थानी, नेपाली और गुजराती समाज और देश के सभी कोने के साथ साथ विदेशी लोगो का अधिकतर आना जाना होता है। चैत्र व शारदीय नवरात्रि के अतिरिक्त गंगा दशहरा, देव दीपावली व कार्तिक मास में यहां स्नान दान और पूजन की विशेष मान्यता है। ललिता घाट को नेपाली मंदिर और कोठवाला मंदिर के रूप में भी जाना जाता है यह काठमांडू में प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति है। यह जटिल लकड़ी और लाल रंग के कंक्रीट के संयोजन के साथ वास्तुशिल्प रूप से आश्चर्यजनक मंदिर है। चलिए आपको ललिता घाट (Lalita Ghat) के इतिहास के बारे में थोड़ा और गहराई से बताते है

Nepali Temple | Source: Google Photos

तकरीबन 19वी शताव्दी के शुरुवात में नेपाल के राजा, राणा बहादुर शाह ने 1800 से 1804 में वनवास लिया था और स्वय को स्वामी निर्गुण के नाम से नामित किया थ।
राणा बहादुर शाह ने अपने निर्वासन के दौरान बनारस में पशुपति नाथ मंदिर बनाने का फैसला लिया, बनारस में उनके प्रवास के दौरान ही मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया था किन्तु मंदिर के निर्माण के दौरान राणा बहादुर शाह नेपाल वापस चले गए और फिर वापस बनारस न आ सके, उसका प्रमुख कारण यह था की नेपाल में ही राणा बहादुर शाह के सौतेले भाई ने 25 अप्रैल 1806 को चाकू मरकर घायल कर दिया थ।
बाद में राणा बहादुर शाह के पुत्र गिरवन युद्ध बिक्रम शाह देव ने नेपाली मंदिर के साथ साथ एक धर्मशाला और ललिता घाट (Lalita Ghat) का निर्माण कार्य शुरू करवाया , मंदिर और घाटों का निर्माण निर्धारित समय सीमा के 20 साल बाद पूरा हुआ

Arial View of Nepali Temple | Source: Google Photos

ललिता घाट (Lalita Ghat) का मह्त्व और धार्मिक विश्वास :

मान्यता यह है की देवी ललिता हिन्दू धर्म के 10 देवी देवताओ के समूहों में से एक है, जिनको सामूहिक रूप से महाविद्या या 10 महा विद्या कहा जाता है ये हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। पार्वती ललिता महात्रिपुर सुंदरी का पूर्ण अवतार है और इन्ही के नाम पर ही ललिता घाट का निर्माण करवाया गया था।
ललिता घाट (Lalita Ghat) से ही जुड़ा हुआ गंगा केशव के प्रसिद्द लिंगम भी है, जो की काशी देवी, गंगातट्य, ललिता देवी और भागीरथी तीर्थ है
एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दू धर्म में एक लोकप्रिय मान्यता यह भी है कि जो भी ललिता घाट पर आकर दर्शन का आनंद प्राप्त कर लेता है उसे पूरी दुनिया के देवी देवताओ के दर्शन का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है
साथ ही यह भी माना जाता है कि ललिता देवी का आशीर्वाद लेने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती है और जीवन में समृद्धि आती है

ललिता घाट (Lalita Ghat) पहुंचने का साधन :

  • हवाई यात्रा के माध्यम से : लाल बहादुर शास्त्री अंतरास्ट्रीय हवाई अड्डा बनारस आकर यदि आप बनारस की मंदिरो का दर्शन और गंगा आरती का आनंद लेना चाहते है तो आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए बहुत सारे साधन मिल जायेगे आप लाल बहादुर शास्त्री अंतरास्ट्रीय हवाई अड्डा बनारस से ललिता घाट पहुंचने के लिए आपको बस, और कैब मिल सकती है। आप हवाई अड्डे से सीधे ललिता घाट पहुचने के लिए प्राइवेट कैब या ऑटो रिक्सा भी बुक कर सकते है।
Lal Bahadur Shastri International Airport Varanasi | Source: Google Photos

रेल माध्यम से : वाराणसी जंक्शन से तक़रीबन 5 किमी की दूरी पर ललिता घाट (Lalita Ghat) स्थित है, बनारस शहर में पहुंचने के बाद आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई भी परेशानी नहीं होगी यहाँ वाराणसी जंक्शन से ललिता घाट के लिए आपको बहुत ही आराम से ऑटो रिक्सा, ई रिक्सा, और कैब भी मिल सकती है। ।

Varanasi Cantt Railway Station | Source: Google Photos

बस के माध्यम से : यदि आप बस के माध्यम से बनारस आते है और आप ललिता घाट (Lalita Ghat) तक जाना चाहते है तो आपको बनारस बस स्टैंड से भी बहुत आराम से ऑटो रिक्सा, ई रिक्सा और आप चाहे तो प्राइवेट कैब भी बुक कर सकते है।

Ch. Charan Singh Bus Station | Source: Google Photos

ललिता घाट (Lalita Ghat) के निकटवर्ती स्थान :

दशाश्वमेध घाट : ( 650 मीटर दूरी पर स्थित है)
मणिकर्णिका घाट : (1.4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है)
अस्सी घाट : (3.5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है)
काशी विश्वनाथ मंदिर : ( 1.1 किलोमीटर दूरी पर स्थित है)

Preeti Gupta
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