इस तरह से करे दरिद्र नारायण सेवा वाराणसी में | (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi)

दरिद्र नारायण सेवा का सनातन धर्म में बहुत महत्त्व है इस लेख में हम यह जानने को कोशिश करेंगे कि वाराणसी में दरिद्र नारायण सेवा (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi) कैसे करे और क्या क्या करना पड़ता है दरिद्र नारायण सेवा में

Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi
Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi

दरिद्र नारायण सेवा (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi) का सनातन धर्म में महत्त्व

भोजन सेवा: मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता भोजन है शास्त्रो में अन्न दान को महादान की संज्ञा दी गयी है जिससे प्राण तत्व को संतुष्टी मिलती है यदि जीवन में सामर्थ्य के अनुसार सेवा आवश्यक रुप से करनी ही चाहिए , जल सेवा अति उत्तम सेवा है प्यासे को पानी, भूखे को भोजन से बडी कोई सेवा दरिद्र नारायण (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi )की नही हो सकती है भावना ऐसी हो ” तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा “

Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi

महाकवि रामधारीसिंह दिनकर जी की पंक्तियाँ यथार्थ रूप में वर्णित करती है:

“श्वानो मिलता मिलते दूध वस्त्र भूखे बालक अकुलाते है

माँ की हङङी से चिपक ठिठुर जाड़े की रात बिताते है “

रामधारीसिंह दिनकर जी

वस्त्र सेवा: दूसरी प्रमुख सेवा वस्त्र सेवा है शरीर ढकने को वस्त्र विशेष कर सर्दी के समय मे वस्त्र सेवा भी अति महत्वपूर्ण सेवा है ठिठुरते अंग को वस्त्र सेवा प्राण दायनी ऊर्जा प्रदान करती है।

चिकित्सा सेवा: रोगी गरीब को चिकित्सा सेवा पुण्य का कार्य है उसके ह्दय से निकला आर्शीवाद , उनके ह्दय मे विराजमान ईश्वर या नारायण सेवा है (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi ) जो निसहाय को जीवन प्रदान करती है ।

इन प्रमुख सेवा के अलावा निवास सेवा, शिक्षा सेवा, अनेक प्रकार की सेवा जिससे जीवन एवं आत्मा को सुख प्राप्त हो ह्दय से प्रशन्नता मिले सबसे बड़ी सेवा दरिद्र नारायण सेवा (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi ) की होगी

वाराणसी में दरिद्र नारायण सेवा को वाराणसी कि महतवपूर्ण सामाजिक संसथान काशी अर्चन फाउंडेशन (Kashi Archan Foundation) और भी सुगम और आसान बनाता है सभी श्रद्धालुओं के लिए यही आप इच्छुक है किसी भी तरह कि दरिद्र नारायण सेवा (Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi ) या अन्नदान सेवा के लिए तो निसंकोच आप काशी अर्चन फाउंडेशन से संपर्क कर सकते है

हमारे धर्म ग्रंथों में प्रत्येक प्राणी मात्र मे ईश्वर का चेतन स्वरूप विद्यमान माना गया है विशेष रूप से नर सेवा को नारायण सेवा के रूप में अंगीकार किया गया है।

पद्मपुराण में वर्णित है दरिद्र नारायण सेवा (Dwaridra Narayan Sewa in वाराणसी ) कथा

Dwaridra Narayan Sewa in Varanasi

पद्मपुराण में इससे संबंधित एक कथा भी मिलती है। एक बार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी और विदर्भ के राजा श्वेत के बीच संवाद हो रहा होता हैं। इस संवाद से यह पता चलता है कि व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था में जिस भी वस्तु का दान करता है, मृत्यु के बाद वही चीज उसे परलोक में प्राप्त होती है। राजा श्वेत अपनी कठोर तपस्या के बल पर ब्रह्मलोक तो पहुंच जाते हैं लेकिन अपने जीवनकाल में कभी भोजन का दान ना करने के कारण उन्हें वहां भोजन प्राप्त नहीं होता।

अन्नदान भोजन के साथ अपने रिश्ते को चेतना और जागरूकता के निश्चित स्तर पर लाने के लिए एक संभावना है। इसे सिर्फ भोजन के रूप में मत देखियें, यह जीवन है। यह हम सब को समझना बहुत जरूरी है – जब भी आप के सामने भोजन आता है, आप इसें एक वस्तु की तरह न समझें जिसका आप उपयोग कर सकते हैं या फेंक सकते है – यह जीवन है। अगर आप अपने जीवन को विकसित करना चाहते हैं,तो आप को भोजन,जल,वायु और पृथ्वी को जीवन के रूप में देखना होगा – क्योंकि ये वे तत्व है जिससे आपका निर्माण हुआ है। अन्न दान एक तरीका है जिस के द्वारा आप पूरे जुड़ाव के साथ अपने हाथों से, प्रेम और भक्ति के साथ खाना परोसते हुए दूसरे इंसान से गहराई से जुड़ सकते हैं।

साईं इतना दीजिए, जामें कुटुम्ब समाय।मैं

 भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय।।

Kabir Amrit Vani
Preeti Gupta
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Hi, I am Preeti Gupta, Content Creator of the "Yatra with Preeti" YouTube Channel, And Passionate Content Writer related to Religious Niches like Temple's History, Importance of Puja & Path

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