क्या है, चतुर मास(Chaturmas) का माहिना ?

  • व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिन्दू धर्म में ‘चातुर्मास’ (Chaturmas) कहा गया है। ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। चातुर्मास (Chaturmas) 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है।
चतुर मास के दौरान की जाने वाली पूजा अनुष्ठान

चतुर मास के दौरान की जाने वाले कुछ पूजा अनुष्ठान और ध्यान इस प्रकार हैं:

  • चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करते हैं।
  • चातुर्मास में ही भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय माह सावन यानी श्रावण आता है।
  • चातुर्मास देवताओं की रात्रि कहलाती है, इन चार माह में श्रीहरि समेत सभी देव योग निद्रा में होते हैं।
  • चातुर्मास में तामसिक प्रवृत्तियां और शक्तियां बढ़ी हुई होती हैं, इसलिए संयमित व्यवहार और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
  • भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।
  • चातुर्मास में आप भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं, उस पर कोई पाबंदी नहीं होती है।

प्रकृति परिवर्तन और स्वास्थ्य की दृष्टि से चातुर्मास (Chaturmas) का महत्व :

वर्षाऋतु के माह: यह चार महीनों में ऋतु परिवर्तन भी होता है। वर्ष में 6 ऋतुएं होती हैं

  • शीत-शरद
  • बसंत
  • हेमंत
  • ग्रीष्म
  • वर्षा
  • शिशिर।

ऋतु परिवर्तन होने और किटाणु एवं विषाणु बढ़ जाने से भी व्रत, उपवास, नियम और दान का महत्व बढ़ जाता है। क्योंकि इसी ऋतु में गंभीर रोग होने की संभावना रहती है।

चतुर्मास (Chaturmas) का अलग-अलग धर्मों में महत्व :

चतुर्मास (Chaturmas) का अलग अलग धर्म में अलग महत्व है, यहाँ कुछ धर्म के अनुसार इसका महत्व दर्शाया जा रहा है | लेकिन आम बात यह है कि 4 महीने की इस अवधि को सभी धर्मों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शुभ माना जाता है |

जैन धर्म में चतुर्मास (Chaturmas) का महत्व :

जैन धर्म में चतुर्मास (Chaturmas) का बहुत अधिक महत्व होता हैं | जैन धर्म के लोग पूरे महीने मंदिर जाकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं एवं सत्संग में भाग लेते हैं | घर के छोटे बड़े लोग जैन मंदिर परिसर में एकत्र होकर नाना प्रकार के धार्मिक कार्य करते हैं | गुरुवरों एवं आचार्यों द्वारा सत्संग किये जाते हैं एवं मनुष्यों को सदमार्ग दिखाया जाता हैं, इस तरह इसका जैन धर्म में बहुत महत्व है।

बौद्ध धर्म में चतुर्मास (Chaturmas) का महत्व :

गौतम बुद्ध राजगीर के राजा बिम्बिसार के शाही उद्यान में रहे, उस समय चतुर्मास की अवधि थी। कहा जाता है साधुओं का बरसात के मौसम में इस स्थान पर रहने का एक कारण यह भी था कि उष्णकटिबंधीय जलवायु में बड़ी संख्या में कीट उत्पन्न होते हैं जो यात्रा करने वाले भिक्षुकों द्वारा कुचल जाते हैं, इस तरह से इसका बौद्ध धर्म में भी महत्व अधिक है।

चातुर्मास (Chaturmas) के माह एवं त्यौहार :

चौमासा या चतुर्मास (Chaturmas) के अंतर्गत निम्न माह शामिल हैं :

  • आषाढ़ :

सबसे पहला महीना आषाढ़ का होता है, जो शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरू होता हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान् विष्णु सोने जाते हैं | आषाढ़ के 15 दिन चौमास के अंतर्गत आते हैं, इसलिए ऐसा भी कहा जाता है कि चौमास अर्ध आषाढ़ माह से शुरू होता है | इस माह में गुरु एवं व्यास पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है, जिसमें गुरुओं के स्थान पर धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं | गुरु पूर्णिमा खासतौर पर शिरडी वाले साईं बाबा, सत्य साईं बाबा, गजानन महाराज, सिंगाजी, धुनी वाले दादा एवं वे सभी स्थान जो गुरु के माने जाते हैं वहां बहुत बड़े रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं |

  • श्रावण :

दूसरा महीना श्रावण का होता है, यह महीना बहुत ही पावन महीना होता है, इसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती हैं | इस माह में कई बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं जिनमें रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज एवं अमावस्या, श्रावण सोमवार आदि विशेष रूप से शामिल हैं | रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहनों का त्यौहार होता है, बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं | वहीं नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है | हरियाली तीज में सुहागन औरतें भगवान् शिव एवं देवी पार्वती की पूजा करती है एवं व्रत भी रखती है | इस माह में श्रावण सोमवार का महत्व बहुत अधिक है, इस माह में वातावरण बहुत ही हराभरा रहता है |

  • भाद्रपद :

तीसरा महीना भादों अर्थात भाद्रपद का होता हैं, इसमें भी कई बड़े एवं महत्वपूर्ण त्यौहार मनायें जाते हैं जिनमें कजरी तीज, छठ,कृष्ण जन्माष्टमी, गोगा नवमी, जाया अजया एकदशी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस, अन्नत चतुर्दशी, पितृ श्राद्ध आदि शामिल हैं| हर त्यौहार का हिन्दू धर्म में अपना एक अलग महत्व होता है, और लोग इसे बड़े शौक से मनाते हैं | इस तरह यह माह भी हिन्दू रीती रिवाजों से भरा पूरा रहता हैं।

  • आश्विन माह :

चौथा महीना आश्विन का होता हैं, अश्विन माह में पितृ मोक्ष अमावस्या, नवरात्र व्रत, दशहरा एवं शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण एवं बड़े त्यौहार आते हैं | इस माह को कुंवार का महीना भी कहा जाता हैं, नव दुर्गा में लोग 9 दिनों का व्रत रखते हैं इसके बाद दसवें दिन दशहरा का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

 Chaturmash
  • कार्तिक माह :

यह चतुर्मास का अंतिम महीना होता है, जिसके 15 दिन चौमास में शामिल होते है | इस महीने में दीपावली के पांच दिन, गोपा अष्टमी, अक्षय नवमी, देवउठनी एकादशी जैसे त्यौहार आते हैं | इस माह में लोग अपने घर में साफ सफाई करते हैं, क्योकि इस माह में आने वाले दीपावली के त्यौहार का हमारे भारत देश में बहुत अधिक महत्व है, इसे लोग बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।

क्या है चतुर्मास (Chaturmas) में खाने पीने तथा सामान्य आचारण के नियम ?

चार माह तक इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिये, जैसे इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।

चतुर्मास (Chaturmas) में इन नियमो का करे पालन :

इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।

इस साल कब ख़त्म हो रहा है चतुर मास (Chaturmas) ?

हर साल देव उठानी एकादशी के दिन चतुर मास समाप्त होता है | इस दिन श्री हरि विष्णु नींद से उठते हैं और शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन और नए उपक्रमों की शुरुआत सामान्य गति से शुरू हो जाती है | इस बार देव प्रबोधनी एकादशी 4 नवंबर 2023 को पड़ रही है, जहां से चतुर मास संपूर्ण होगा तथा मांगलिक कार्य सामान्य गति से शुरू हो जाएंगे |

मांगलिक कार्य के लिए नवंबर तथा दिसंबर के महीने में कौन सी तिथि है शुभ ?

19, 20, 21, 24, 25 और 27 नवंबर, महीने में मांगलिक कार्य के लिए कुछ सबसे शुभ तिथियां हैं |
2nd, 7th, 8th, 9th and 14th दिसंबर महीने में सबसे शुभ तिथियों में से कुछ हैं |

Harsh Pandey
Harsh Pandeyhttps://www.kashiarchan.in
Namaskar! The writer is the managing director of the Kashi Archan Foundation, An organization which helps devotees to perform puja and sewa in all the temples of Varanasi

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