क्यों मनाया जाता है काशी में अन्नकूट महोत्सव (Annakut Festival 2023)?

काशी के माँ अन्नपूर्णा मंदिर समेत अन्य मंदिरो में यह त्यौहार ”अन्नकूट महोत्सव” (Annakut Festival 2023) दीपावली के दूसरे दिन यानि कार्तिक शुक्ल प्रतिप्रदा को मनाया जाता है, इस दिन काशी के मंदिरों में अन्न फल फूल सब्जियों सहित 56 प्रकार के भोग लगता है
यह आकर्षक दृस्य काशी के इलावा कही और देखने को नहीं मिलता है, काशी विश्वनाथ मंदिर के बाबा विश्वनाथ और माँ अन्नपूर्णा की नगरी काशी में यह पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है , काशी नगरी में चलने वाले 4 दिनों के दीपोत्सव की महिमा निराली है काशी नगरी में इस त्यौहार से माँ अन्नपूर्णा धन की अपार वर्षा करती है, और इसका समापन कंद मूल फल और और अन्न के वितरण से होता है
अन्नकूट पर्व (Annakut Festival 2023) के दिन काशी के सभी मंदिरो में भोग लगाने की एक खास व्यवस्था होती है अन्नकूट पर्व (Annakut Festival 2023) के दिन काशी की माँ अन्नपूर्णा मंदिर का खास महत्व है

Annakut Festival 2022
Annakut Festival 2022

कार्तिक माष के शुक्ल पच्छ की प्रतिप्रदा यानी पहले दिन अन्नकूट महोत्सव (Annakut Festival 2023) मानाने की मान्यता है, काशी के मंदिरो में अन्नकूट पर्व की तैयारी एक सप्ताह पहले से ही शुरू कर दी जाती है, अन्नकूट पर्व (Annakut Festival 2023) के दिन सबसे पहले माँ अन्नपूर्णा का विधिवत श्रृग्गार किया जाता है उसके बाद शुद्ध देशी घी से निर्मित 56 प्रकार के भोजन से भोग लगाया जाता है काशी के मंदिरो में फल, फूल, मेवे, मिश्री, और तरह तरह के पकवानो से भोग लगा कर माँ अन्नपर्णा की आरती की जाती है उसके बाद सभी भक्तो को प्रसाद वितरित किया जाता है काशी में इस पूजा का विशेष महत्त्व होता है मान्यता यह भी है की यह पर्व काशी में माँ अन्नपूर्णा की आराधना के लिए मनाया जाता है और यह परंपरा आदि काल से चली आ रही है |

अन्नकूट महोत्सव (Annakut Festival 2023) में ही खुलता है माँ अन्नपूर्णा मंदिर का कपाट

धनतेरस के दिन से माँ अन्नपूर्णा के सवर्णिम प्रतिमा का दर्शन शुरू हो जायेगा, साल भर बंद रहने वाले इस मंदिर का कपाट धनतेरस के दिन से अन्नकूट पूजा के लिए भक्तो के लिए खुला रहेगा

(Annakut Festival 2023) माँ अन्नपूर्णा को भोजन और पोषण की देवी के रूप में क्यों पूजा जाता है ?

(Annakut Festival 2023) हिंदू धर्म के अनुसार शिव और पार्वती ब्रह्मांड के यिन और यांग के समान हैं। पार्वती सभी सांसारिक चीजों या मोह-माया की देवी हैं, जबकि शिव योग और आध्यात्मिकता के संस्थापक हैं। एक बार, शिव और पार्वती बातचीत कर रहे थे जिसमें शिव ने कहा कि हमारे पास जो कुछ भी है वह एक भ्रम या माया है। यहां तक ​​कि हम जो ‘भोजन’ खाते हैं वह भी माया या भौतिक सुखों का एक हिस्सा मात्र था। इस बात ने देवी पार्वती को क्रोधित कर दिया कि भोजन को भ्रम कहना उन्हें भ्रम कहने जैसा था। उन्होंने शिव और दुनिया को इसके महत्व का एहसास कराने के लिए दुनिया से हर तरह की चीजें लेने का फैसला किया। वह देखना चाहती थी कि भोजन के बिना और केवल योग और ध्यान के अभ्यास से दुनिया कैसे बचेगी।
नतीजतन, पृथ्वी बंजर हो गई और लोगों को अकाल का सामना करना पड़ा। देवताओं सहित सभी, माता पार्वती के मातृ प्रेम ने अपने बच्चों को मरते नहीं देखा गया इसलिए, वह माँ अन्नपूर्णा के रूप में फिर से उभरी और काशी में भोजन बाँटने लगी। यहां तक ​​कि शिव भी काशी में भोजन के लिए आए और अपनी गलती स्वीकार कर ली।
इससे उन्हें एहसास हुआ कि वह शक्ति के बिना अधूरे है और शिव और शक्ति दोनों ही दुनिया के अस्तित्व के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। तब से अन्नपूर्णा को भोजन और पोषण की देवी के रूप में पूजा जाता है।

Kashi Annakut Festival 2022
Annapurna Temple, Kashi

काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित, देवी एक हाथ में सोने की कलछी और दूसरे में चावल का एक कटोरा लेकर मौजूद हैं, अन्नपूर्णा को भोजन और पोषण की देवी माना जाता है। अन्नपूर्णा (अन्ना का अर्थ है भोजन और पूर्ण का अर्थ है पूर्ण) अपने भक्तों को कभी भी बिना भोजन के रहने न दें। यहां तक कि भगवान विश्वनाथ को भी उनके सामने एक साधक के रूप में चित्रित किया गया है, जिनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कटोरा है।
मंदिर परिसर की पहली मंजिल पर भु देवी और श्री देवी के साथ देवी अन्नपूर्णा की एक सुनहरी छवि है। इस प्रतिमा के दर्शन केवल दीपावली पर्व (धनतेरस से अन्नकूट तक) के दौरान ही उपलब्ध होते हैं।

यह मंदिर पूरे वर्ष में महज 4 दिनों के लिए ही खोला जाता है जिसकी शुरुआत धनत्रयोदशी ( धन्वन्तरि जयंती) से होती है। मन्दिर के प्रथम तल पर स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का मंदिर है जिसके गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के साथ लक्ष्मी देवी की स्वर्ण प्रतिमा और भूमि देवी की स्वर्ण प्रतिमा विराजमान है। मंगलवार भोर 4 बजे मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट खुले जिसके बाद से मंदिर में एक तरफ लोगों ने तीनों देवियों का दर्शन किये। ऐसी मान्यता है कि धनत्रयोदशी के दिन इस स्वर्णमयी दरबार मे आने से लोगों को धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। त्योहार के दौरान देवी अन्नपूर्णा के आशीर्वाद के रूप में सभी भक्तों को सिक्के और धन वितरित किए जाते हैं।

अन्नकूट महोत्सव (Annakut Festival 2023) तक चलती है परम्परा

Varanasi Annakut Festival 2022
Annakut Festival 2022

इस महोत्सव की शुरुआत धनत्रयोदशी से होती है जो अन्नकूट के दिन ( दीपावली के दूसरे दिन तक) चलती है। अन्नकूट के दिन माँ के गर्भगृह में छप्पन भोग से श्रृंगार किया जाता है और उसके बाद यह अन्न लोगों को प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं। इसमें अलग-अलग पकवान बनाने के लिए मन्दिर परिसर में महीनों पहले से तैयारी होती है और यहीं के भण्डार में मिठाइयां, नमकीन, पपड़ी, खीर, कच्चे भोजन बनते है।

राजा देबोदास की आराधना से दोबारा प्रकट हुई थी माता

श्री काशी अन्नपूर्णा मदिर के आचार्य प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी बताते हैं कि हजारों साल से यहां भक्त आते हैं। दरअसल अनादिकाल में जब काशी का राजपाट देवकाल में यहां राजा देबोदास देख रहे थे तब यह एक बार अकाल जैसे हालात हो गए थे। सभी देवी देवता काशी छोड़ वापस चले गए थे तब इस सृष्टि को बचाने के लिए राजा देबोदास ने मां अन्नपूर्णा की कई वर्षों तक तपस्या की थी, जिसके बाद मां पार्वती देवी ने अन्नपूर्णा के रूप में यहां दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि अब कभी भी काशी में कोई भूखा नही सोएगा।

Preeti Gupta
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Hi, I am Preeti Gupta, Content Creator of the "Yatra with Preeti" YouTube Channel, And Passionate Content Writer related to Religious Niches like Temple's History, Importance of Puja & Path

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